साजन हमसे मिले भी लेकिन ऐसे मिले कि हाय सूखे पर शायरी, गिला शिकवा << कहीं बेहतर है तेरी अमीरी ... लड़ के जाता तो हम मना लेत... >> साजन हमसे मिले भी लेकिन ऐसे मिले कि हायजैसे सूखे खेत से बादल बिन बरसे उड़ जाये! Share on: